गूगली बॉल का आविष्कार किस देश ने किया? पूरा इतिहास और दिलचस्प किस्से
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गूगली बॉल का आविष्कार किस देश ने किया? पूरा इतिहास और दिलचस्प किस्से

गूगली बॉल का आविष्कार किस देश ने किया? ( Googly ball kis country mein invent hui thi? )

क्रिकेट में कुछ गेंदें ऐसी हैं जिन्हें देखने भर से बल्लेबाज़ का आत्मविश्वास हिल जाता है। तेज़ गेंदबाज़ की बाउंसर, स्विंग बॉल का late movement और फिर आती है—स्पिनरों की सबसे रहस्यमयी कला—गूगली

कई लोग इसे साऊथ अफ्रीका की देन मानते हैं, कुछ ऑस्ट्रेलिया का नाम लेते हैं, और कई भारतीय क्रिकेट फैंस इसे भारतीय लेग-स्पिन परंपरा से जोड़ते हैं। लेकिन असलियत कहीं और है। यह कहानी है एक दिमागदार स्पिनर, एक नई खोज और एक ऐसी गेंद की जिसने बैटिंग की परिभाषा ही बदल दी।

आइए उसी रोमांचक इतिहास में चलें, जहां गूगली की शुरुआत हुई और जहां से क्रिकेट में “धोखा देने की कला” जन्मी।

गूगली बॉल क्या होती है?

गूगली सिर्फ गेंद नहीं, एक भ्रम है। एक ऐसा धोखा जिसे समझने में दुनिया के महान बल्लेबाज़ों को भी मुश्किल हुई। लेग स्पिनर आमतौर पर गेंद को लेग से ऑफ की तरफ स्पिन कराते हैं। लेकिन गूगली वह गेंद है जिसमें गेंदबाज़ वही एक्शन दिखाता है, लेकिन गेंद स्पिन होती है ऑफ से लेग की तरफ। यानी बल्लेबाज़ सोचता है गेंद बाहर जाएगी, लेकिन वह भीतर घूमकर विकेट तोड़ने चली आती है।

यह गेंद इसलिए भी मशहूर है क्योंकि:

  • बल्लेबाज़ को पढ़ना मुश्किल
  • गेंदबाज़ की कलाई की तकनीक बेहद चुनौतीपूर्ण
  • टेस्ट, ODI और T20—हर फॉरमैट में उपयोगी

गूगली का जनक कौन था?

गूगली बॉल का आविष्कार इंग्लैंड में हुआ था। इस कला के जनक माने जाते हैं बर्नार्ड बोसानकेट (Bernard Bosanquet), जिन्होंने 1900 के शुरुआती वर्षों में पहली बार इस गेंद को क्रिकेट की दुनिया में पेश किया।

हाँ, आपने सही पढ़ा — गूगली का जन्म भारत, ऑस्ट्रेलिया या पाकिस्तान में नहीं हुआ था, यह शुद्ध रूप से इंग्लैंड की खोज है।

बर्नार्ड बोसानकेट कौन थे?

  • जन्म: 1877
  • इंग्लैंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ी
  • एक प्रयोगकर्ता, जो नई गेंदों को खोजने में अक्सर समय लगाते थे
  • फुल-टॉस, फेक-थ्रो और विभिन्न स्पिन एंगल पर लगातार प्रयोग करते थे

एक दिन उन्होंने एक इंडोर गेम “Twisti-Twosti” खेलते समय गेंद को उलटी दिशा में स्पिन होते देखा—यहीं से जन्म हुआ गूगली का विचार। कुछ महीनों की मेहनत के बाद बोसानकेट ने एकदम नया डिलीवरी स्टाइल तैयार किया, जिसे बाद में “Bosanquet’s googly” कहा गया।

गूगली बॉल का आविष्कार किस देश ने किया?

गूगली बॉल का आविष्कार इंग्लैंड ने किया था। और इसे दुनिया के सामने पेश किया था — Bernard Bosanquet (इंग्लिश लेग-स्पिनर) ने। यानी यह गेंद ब्रिटिश क्रिकेट की देन है, हालांकि आज यह दुनिया की हर टीम की ताकत है।

भारत में गूगली कैसे आई?

हालाँकि गूगली का आविष्कार इंग्लैंड में हुआ, लेकिन भारत ने इस गेंद को एक नई पहचान दी। भारत का लेग-स्पिन स्कूल दुनिया में सबसे खास माना जाता है।

भारत में गूगली को मशहूर बनाने वाले खिलाड़ी:

1. सुब्बू बनर्जी (1930s–40s)

भारत के शुरुआती लेग-स्पिनरों में से एक जिन्होंने गूगली को अपनाया।

2. चंद्रशेखर (B. S. Chandrasekhar)

उनकी गूगली और तेज़ स्पिन को दुनिया आज भी याद करती है।

3. अनिल कुंबले

कुंबले ज्यादा फ्लाइट नहीं देते थे, लेकिन उनकी तेज़ गति वाली गूगली बल्लेबाज़ों को चकमा दे देती थी।

4. पीयूष चावला और अमित मिश्रा

इन्होंने आधुनिक क्रिकेट में गूगली को फिर ज़िंदा किया।

5. युजवेंद्र चहल और रवि बिश्नोई

T20 युग में इनकी गूगली बल्लेबाज़ों की रातें खराब कर देती है।

भारतीय क्रिकेट में गूगली सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि एक हथियार है।

गूगली बॉल का आविष्कार किस देश ने किया? पूरा इतिहास और दिलचस्प किस्से

गेंद कैसे घुमाई जाती है?

गूगली को फेंकना आसान नहीं है। यह महीनों की मेहनत और निरंतर अभ्यास का खेल है।

गूगली फेंकने की तकनीक:

  1. लेग स्पिनर जैसे हाथ की पोज़िशन
  2. कलाई को आखिरी पल में “इनवर्ड ट्विस्ट” देना
  3. गेंद की सिलाई को ऑफ-स्पिन दिशा में मोड़ना
  4. गेंद हवा में drift और turn दोनों दिखाती है
  5. बल्लेबाज़ इसे लेग-ब्रेक समझकर गलत लाइन लेता है

गूगली का सबसे बड़ा रहस्य है— गेंदबाज़ का एक्शन बिल्कुल लेग-स्पिन जैसा दिखता है, लेकिन स्पिन उलटी दिशा में होती है।

यही भ्रम बल्लेबाज़ को धोखा देता है।

गूगली की वजह से क्रिकेट कैसे बदला?

गूगली ने क्रिकेट का चेहरा बदल दिया। 1900 से पहले बल्लेबाज़ लेग-स्पिन को आसानी से खेल लेते थे। गूगली के आने से अचानक स्पिनरों को मिला:

  • नया हथियार
  • बल्लेबाज़ों को भ्रमित करने की कला
  • विकेट लेने का आसान तरीका
  • टेस्ट क्रिकेट में रणनीतिक बढ़त

इसी वजह से इतिहास में कई महान बल्लेबाज़ गूगली को समझ नहीं पाए। पिछले 120 वर्षों में क्रिकेट में जितनी तरक्की हुई, गूगली हमेशा एक “राज़दार” गेंद बनी रही।

गूगली बनाम Doosra बनाम Wrong’un

कई लोग गूगली को गलतफहमी में “दूसरा” या “रॉंग वन” समझ लेते हैं। लेकिन ये तीनों अलग हैं।

1. गूगली (Googly)

लेग स्पिनर की उलटी स्पिन वाली गेंद।

2. दूसरा (Doosra)

ऑफ स्पिनर की उलटी दिशा में घुमाई गई गेंद (सईद अजमल, मुरलीधरन, हरभजन ने इसे लोकप्रिय किया)।

3. व्रॉंग’न (Wrong’un)

T20 क्रिकेट में लेग स्पिनर की तेज़, कम फ्लाइट वाली गूगली का नया नाम।

तीनों का उद्देश्य एक ही है — बल्लेबाज़ को भ्रमित करना।

आधुनिक क्रिकेट में गूगली का महत्व

आधुनिक क्रिकेट में गूगली की अहमियत और बढ़ गई है, खासकर T20 में।

T20 फॉर्मेट में गूगली क्यों घातक है?

  • बल्लेबाज़ आक्रामक खेलते हैं
  • गलती की गुंजाइश कम
  • स्पिनरों के पास बल्लेबाज़ को रोकने का सबसे बड़ा हथियार
  • दिमागी खेल का फायदा मिलता है

दुनिया के सबसे सफल T20 विकेटों में लगभग 30% विकेट गूगली से आते हैं।

कुछ रोचक तथ्य: जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे

  • बोसानकेट की पहली गूगली ने ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ों को चौंका दिया था
  • शुरुआती दिनों में गूगली को “Bosey” कहा जाता था
  • कई महान बल्लेबाज़ों के करियर की शुरुआत गूगली से आउट होकर ही हुई
  • IPL में गूगली का इस्तेमाल 200% बढ़ा है
  • बिश्नोई की गूगली दुनिया में सबसे तेज़ मानी जाती है

गूगली का आविष्कार भले इंग्लैंड में हुआ, पर कला दुनिया की है

गूगली बॉल का आविष्कार इंग्लैंड ने किया था लेकिन दिलचस्प बात यह है कि आज गूगली किसी एक देश की नहीं, बल्कि दुनिया की गेंद बन चुकी है। भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, अफ्रीका—हर जगह नए स्पिनर इस कला को सीख रहे हैं। और यही कारण है कि गूगली आज भी क्रिकेट का सबसे रहस्यमयी हथियार है। क्रिकेट बदल सकता है, फॉर्मेट बदल सकते हैं, बैट बदल सकता है…
लेकिन गूगली का जादू हमेशा कायम रहेगा।

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