Sangya Kise Kahate Hain? Sangya ki Paribhasha उदाहरणों के साथ समझें
संज्ञा किसे कहते हैं (Sangya Kise Kahate Hain)
हिंदी व्याकरण में संज्ञा हमेशा से एक बुनियादी, लेकिन बेहद महत्वपूर्ण विषय रहा है। स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली परिभाषा भले ही सालों से समान हो, लेकिन नई शिक्षा नीति 2025 (NEP Updates) के बाद भाषा विशेषज्ञ संज्ञा को समझने और सिखाने के नए तरीके सुझा रहे हैं। आज के डिजिटल और तेज़-गति वाले अध्ययन माहौल में, ‘संज्ञा किसे कहते हैं’ और ‘संज्ञा की परिभाषा’ को केवल रटने के बजाए अनुभव और उदाहरण आधारित तरीके से समझाया जा रहा है। Sangya Kise Kahate Hain
नीचे हम संज्ञा से जुड़े ताज़ा दृष्टिकोण, आधुनिक उदाहरण जानेगे ।
संज्ञा की परिभाषा (Sangya ki Paribhasha)
परंपरागत रूप से संज्ञा को “किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, गुण या भाव के नाम” के रूप में समझाया जाता है। लेकिन नई शिक्षा पद्धति के भाषा विशेषज्ञ बताते हैं कि छात्रों को केवल परिभाषा याद कराने के बजाय संज्ञा को जीवन से जोड़कर सिखाना अधिक प्रभावी है।
भारतीय भाषा शोध संस्थान के प्रो. अरुण मेहता के अनुसार— “बच्चे संज्ञा तभी बेहतर समझते हैं जब उन्हें अपने आसपास की चीज़ों में संज्ञा दिखाई दे—जैसे ‘मोबाइल’, ‘दिल्ली’, ‘नदी’, ‘खुशी’।”
संज्ञा किसे कहते हैं? आधुनिक संदर्भों में समझें
संज्ञा वह शब्द है जो किसी भी नाम का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन 2025 की पढ़ाई में छात्रों को डिजिटल संज्ञा भी समझाई जा रही है—जैसे:
- “Google” (स्थान/brand नाम)
- “Instagram” (उपकरण/प्लेटफ़ॉर्म)
- “AI” (वस्तु/धारणा)
यह आधुनिक उदाहरण नई पीढ़ी के छात्रों को विषय से जोड़ते हैं।
संज्ञा के प्रकार: उदाहरणों के साथ व्याख्या
संज्ञा को पाँच मुख्य श्रेणियों में बाँटा जाता है, लेकिन शिक्षकों का सुझाव है कि उदाहरण ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं:
- व्यक्तिवाचक संज्ञा – अमिताभ बच्चन, दिल्ली, भारत
- जातिवाचक संज्ञा – लड़की, कुत्ता, पेड़
- भाववाचक संज्ञा – खुशी, दुख, साहस
- समूहवाचक संज्ञा – भीड़, सेना, टोली
- द्रव्यवाचक संज्ञा – पानी, सोना, दूध
स्कूलों में अब बच्चों को कहा जाता है—“अपने घर में 10 संज्ञाएँ खोजकर लिखो।” इससे व्याकरण खेल जैसा लगने लगता है।
सोशल मीडिया युग में संज्ञा की नई भूमिका
भाषाशास्त्रियों के अनुसार, 2025 के युवा ‘कंटेंट भाषा’ का इस्तेमाल करते हैं। इसमें बहुत से नए शब्द रोज़ संज्ञा बन जाते हैं—
जैसे “रील”, “वायरल”, “क्रिएटर”, “मीम” आदि। यह बदलाव बताता है कि भाषा समय के साथ विकसित होती है और संज्ञा भी इसका एक प्रमुख हिस्सा है। Sangya Kise Kahate Hain
क्यों ज़रूरी है संज्ञा का सही ज्ञान?
नई शिक्षा रिपोर्ट्स बताती हैं कि संज्ञा का मजबूत ज्ञान बच्चों की—
- पढ़ने की क्षमता
- वाक्य निर्माण
- रचनात्मक लेखन
- और संप्रेषण कौशल
को तेज़ी से सुधारता है। इसलिए NEP 2025 में भाषा के मूल तत्व—जैसे संज्ञा—पर ज़ोर दिया जा रहा है।
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